ताज़ीया निकालना कैसा है__आला हज़रत का फरमान

ताजिया और मुहर्रम:आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैहे रहमा बरेलवी का फतवा है ताजिया निकालना, ढोल बजाना, औरतो का सीना पीटना, काले कपड़े पहनना, अपने जिस्म को जानबूझकर तकलीफ देना (तलवार, सुइये और दीगर लोहे के औजार से जिस्म को जख्मी करना) ये सब काम नाजाइज़ है ।
 क्योंकि मुहर्रम का दिन इस्लाम के लिए गम का दिन नहीं बल्कि इस दिन इमामे हुसैन की शहादत से इस्लाम को नई ज़िन्दगी मिली ।
मुहर्रम के दिन ये ना करें-

1. काले कपडे पहनना ।2. ताजिया निकालना ।3. मातम मनाना ।4. औरतो का सीना पीटना ।5. ढोल बजाना ।6. अपने जिस्म को तकलीफ देना ।7. औजारों से खेलना ।8. दिखावा करना ।9. ताजिया देखने जाना ।10. ताजिये के नीचे से निकलना ।

मुहर्रम के दिन क्या करे -
1. सबसे अफज़ल काम है रोज़ा रखे । जहाँ तक हो सके 9 और 10 मुहर्रम को दो रोज़े रखे ।क्योंकि मुहर्रम की 10 तारीख एक दिन तो यहूदी भी रोज़ा रखते थे ।2. शरबत या दलीम (अलग अलग दालों से बनने वाला पकवान) पर फातिहा दिलाये ।3. इबादत करे । मुहर्रम के 10 दिन इमामे हुसैन की अज़ीम शहादत का बयान करे ।4. यह नसीहत ले की या अल्लाह तेरे रसूल के नवासे ने तेरे दीन के लिए अपनी गर्दन कटा दी अगर ज़रुरत पढ़ी तो में भी इन्शाल्लाह तेरी राह में शहीद हो जाऊँगा ।

याद रखना ये ताजिया खेलना और दिखावा करना अगर अल्लाह इससे नाराज़ हो गया तो कल क़यामत के दिन हमें बचाने वाला कोई नहीं होगा ।जो पक्का सुन्नी है और जो अपने रसूल और उसके नवासे इमामे हुसैन से मोहब्बत करता है वो अब ज़िन्दगी में कभी भी ताजिया देखने नहीं जाएगा । और अपने घर वालो और दोस्तों को भी रोकेगा ।याद रखना कल क़यामत के दिन जवाब आपको देना है । अब फैसला आपके हाथ ME hai.......

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