Naat sharif by sajjad nizami

Naat sharif

सूरज का चमकना तो बस एक बहाना है
सरकार के जल्वो से रौशन यह ज़माना है

खुद खाना नहीं खाया औरो को खिलाया है
हम जैसे गरीबों को सिने से लगाया है
ऐ प्यारे अली तेरा वो पाक घराना है

गौसे सम्दानी की अजमत कोई क्या जाने
रब जाने नबी जाने या मौला अली जाने
बघ्दाद में रहकर भी नज़्रो में ज़माना है

पढ़ पढ़ के दरूदो को तक्दीर जगाना है
और आज हमें अपनी झोली को भराना है
सरकार की महफिल है सरकार को अना है

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