इमाम हुसैन की शान. Imam Husain Ki Shaan

Imam husain ki shaan
एक मर्तबा इमाम हुसैन खेलते खेलते एक बाग मे चले गये सय्यदा फातेमा ने नबी ए पाक से अरज की बाबा जान मे परेशान. हो गयी हुसैन को ढुंढते सुबह से गया हे दोपहर हो गयी अब तक लौटा नही
अल्लाह के नबी ने फरमाया बेटी मे उसे ले आता हू नबी ए पाक के साथ फिज्जा और हजरत अली भी गये
ढुंढते हुवे रास्ते मे एक बाग की तरफ रुख किया तो क्या देखा के तपती हुइ रेत पर हुसैन पाक आराम से
सो रहे हे
सरकार देख कर मुस्कुराये
फिज्जा और जो लोग देख रहे थे उन्होने कहा सरकार. आप हुसैन को तपती हुइ रेत पर देखकर आप बेकरार नही होते और आप मुस्कुरा रहे हे तो नबी ए पाक ने फरमाया तुम देख रहे हो हुसैन तपती रेत पर सोया हे
मे देख रहा हू नीचे एक फरिश्ते का पर बिछा हे और उपर एक फरिश्ते का सायबान हे मेरा हुसैन इस शान से सोया हे और इतने मे ही इमाम हुसैन की आंख खुल गयी कहा नाना जान मुजे भुख लगी हे मुजे खाना चाहिए. आका ने कहा बेटे घर चलो तुम्हारी मा तुम्हें ढुंढ रही हे वही पर खाना खा लेना हुसैन ने कहा नही नाना मुजे यही चाहिए जीद पर आ गये हुजूर ने कहा बेटा घर चल कर खा लेना हुसैन ने कहा नहीं नाना यही खाऊगां
अभी ये बात हो ही रही थी के जिब्रील अलयहिस्सलाम
जन्नत से खाना ले कर अाये और अरज की या हुजूर सलल्ललाहो अलयहे वस्सलम अल्लाह की मरजी हे आप हुसैन को ना रुलाये हुसैन का रोना अल्लाह को पसंद नही आता हुजूर ये खाना आप हुसैन को खिलाये
बचपन मे आरजू की तो खाना खुदा ने जन्नत से भेज दिया
कल मेदाने करबला मे कोई ये ना केह सके के हुसैन
खाने और पानी के लिये मजबूर थे
नहीं
अरे
वो
तो
बादशाह थे बादशाह. हे और बादशाह रहेंगे।
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