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Showing posts from September, 2017

ग़ारे_हिरा_में_नुबुव्वत_का_मिलना ( ज़ाहिरी_तौर_पर )

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# _ग़ारे_हिरा_में_नुबुव्वत_का_मिलना ( #ज़ाहिरी_तौर_पर ) जब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की उम्र शरीफ़ 40 साल हो गई तो आपको क़ुदरत की तरफ़ से नुबुव्वत की निशानियाँ दिखाई जाने लगीं... यानी सच्चे ख़्वाब आपको दिखाए जाते जो दिन के उजाले की तरह ज़ाहिर और सच होते...। आप रात में जो भी ख़्वाब देखते वह बिल्कुल सच्चा होता । छह महीने तक यह सिलसिला चलता रहा, सच्चे ख़्वाब अगरचे नुबुव्वत का छियालीसवाँ (46) हिस्सा हैं और ज़ाहिरी तौर पर नुबुव्वत का कुल वक़्त 23 साल है...। इस तरह जब ग़ारे हिरा में तन्हाई में रहने का तीसरा साल आया तो अल्लाह तआला ने चाहा कि ज़मीन पर रहने वाले इनसानों पर उसकी रहमत व करम हो, तो आपको नुबुव्वत देने के लिये हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम को भेजा...। चुनाँचे आप रोज़ाना की तरह एक दिन ग़ारे हिरा में तशरीफ़ फरमा थे कि अचानक एक फ़रिश्ता ग़ार के अन्दर आया और आपको सलाम किया, फिर यह कहा #_इक़्रा (पढ़िये)...। आपने फ़रमाया ''मा अ-न बि-क़ारी'' यानी मै पढ़ा हुआ नहीं हूँ...। उसके बाद फ़रिश्ते ने आपको पकड़कर भीचा और इतनी ज़ोर से दबाया कि आपकी ताक़त जवाब दे गई... ...

ताज़ीया निकालना कैसा है__आला हज़रत का फरमान

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ताजिया और मुहर्रम :आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैहे रहमा बरेलवी का फतवा है ताजिया निकालना, ढोल बजाना, औरतो का सीना पीटना, काले कपड़े पहनना, अपने जिस्म को जानबूझकर तकलीफ देना (तलवार, सुइये और दीगर लोहे के औजार से जिस्म को जख्मी करना) ये सब काम नाजाइज़ है ।  क्योंकि मुहर्रम का दिन इस्लाम के लिए गम का दिन नहीं बल्कि इस दिन इमामे हुसैन की शहादत से इस्लाम को नई ज़िन्दगी मिली । मुहर्रम के दिन ये ना करें- 1. काले कपडे पहनना ।2. ताजिया निकालना ।3. मातम मनाना ।4. औरतो का सीना पीटना ।5. ढोल बजाना ।6. अपने जिस्म को तकलीफ देना ।7. औजारों से खेलना ।8. दिखावा करना ।9. ताजिया देखने जाना ।10. ताजिये के नीचे से निकलना । मुहर्रम के दिन क्या करे - 1. सबसे अफज़ल काम है रोज़ा रखे । जहाँ तक हो सके 9 और 10 मुहर्रम को दो रोज़े रखे ।क्योंकि मुहर्रम की 10 तारीख एक दिन तो यहूदी भी रोज़ा रखते थे ।2. शरबत या दलीम (अलग अलग दालों से बनने वाला पकवान) पर फातिहा दिलाये ।3. इबादत करे । मुहर्रम के 10 दिन इमामे हुसैन की अज़ीम शहादत का बयान करे ।4. यह नसीहत ले की या अल्लाह तेरे रसूल के नवासे ने तेरे दीन के लिए अपनी...

इमाम हुसैन की शान. Imam Husain Ki Shaan

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Imam husain ki shaan एक मर्तबा इमाम हुसैन खेलते खेलते एक बाग मे चले गये सय्यदा फातेमा ने नबी ए पाक से अरज की बाबा जान मे परेशान. हो गयी हुसैन को ढुंढते सुबह से गया हे दोपहर हो गयी अब तक लौटा नही अल्लाह के नबी ने फरमाया बेटी मे उसे ले आता हू नबी ए पाक के साथ फिज्जा और हजरत अली भी गये ढुंढते हुवे रास्ते मे एक बाग की तरफ रुख किया तो क्या देखा के तपती हुइ रेत पर हुसैन पाक आराम से सो रहे हे सरकार देख कर मुस्कुराये फिज्जा और जो लोग देख रहे थे उन्होने कहा सरकार. आप हुसैन को तपती हुइ रेत पर देखकर आप बेकरार नही होते और आप मुस्कुरा रहे हे तो नबी ए पाक ने फरमाया तुम देख रहे हो हुसैन तपती रेत पर सोया हे मे देख रहा हू नीचे एक फरिश्ते का पर बिछा हे और उपर एक फरिश्ते का सायबान हे मेरा हुसैन इस शान से सोया हे और इतने मे ही इमाम हुसैन की आंख खुल गयी कहा नाना जान मुजे भुख लगी हे मुजे खाना चाहिए. आका ने कहा बेटे घर चलो तुम्हारी मा तुम्हें ढुंढ रही हे वही पर खाना खा लेना हुसैन ने कहा नही नाना मुजे यही चाहिए जीद पर आ गये हुजूर ने कहा बेटा घर चल कर खा लेना हुसैन ने कहा नहीं नाना यही खाऊगां अभी य...

Hazrat Hasan Basri R.A

#ﺩﻭ_ﺁﻧﺴﻮ ..... ﺣﻀﺮﺕ ﺣﺴﻦ ﺑﺼﺮﯼ ﺭﺿﯽ ﺍﻟﻠﮧ ﻋﻨﮧ ﮐﯽ ﺍﯾﮏ ﻣﺮﯾﺪﻧﯽ ﺗﮭﯽ ﺍﺳﮑﺎ ﺍﯾﮏ ﺑﯿﭩﺎ ﺗﮭﺎ ﺟﻮ ﺑﮩﺖ سرکش ﺗﮭﺎ ﺩﻧﯿﺎ ﻣﯿﮟ ﺍﯾﺴﺎ ﮐﻮﺋﯽ ﮔﻨﺎﮦ ﻧﮩﯿﮟ ﺗﮭﺎ ﺟﻮ ﺍُﺱ ﻧﮯ ﻧﮧ ﮐﯿﺎ ﮨﻮ ﺍﯾﮏ ﺩﻥ ﺳﺨﺖ ﺑﯿﻤﺎﺭ ...

आयतल कुर्सी की फज़ीलत और हमारे नबी की शान

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आयतल कुर्सी की फज़ीलत  और हमारे नबी की शान     एक दिन हमारे नबी ए पाक मसजिदे नबवी मे जोहर कि नमाज का वुजु बना रहे थे.. इतने मैंएक सहाबी हजरते सलमान फारसी. रोते हुए आये. हमारे नबी ने फरमाया ऎ सलमान रोते क्यो हो ..सलमान फारसी ने फरमाया ए मेरे नबी मेरा एक जवान बेटा है जो बहुत बीमार है मुझे डर है कि मै नमाज पढ के घर जाऊँ और कहीँ मेरा बेटा अल्लाह को प्यारा न हो जाए..इसिलिये मै रो रहा हुँ.सलमान फारसी की बात सुनकर हमारे नबी ने फरमाया ऎ सलमान एक पानी का भरा हुवा प्याला लाओ..अब आयतुल कुर्सी मै भी पढता हुँ .. और तुम भी पढो .. फिर इस पानी मे फूंक मारो..लिहाजा पानी मे फूंक मारने के बाद हमारे नबी ने वो प्याला सलमान फारसी को देकर फरमाया सलमान घर जाओ ओर ये पानी अपने बेटे को पीला दो.सलमान फारसी घर गये ओर बाहर से ही पानी का प्याला घरवालोँ को देकर नमाज पढने की फिक्र मे वापस मसजिदे नबवी आये..उनको फिक्र ये थी कि कहीँ मेरी नमाज छुट न जाए ..नमाज के बाद हमारे नबी ने जैसे ही सलाम फेरा ..अभी दुआ बाकी थी.. सलमान फारसी फौरन अपने बेटे की फिक्र मे खडे हो कर जाने...

Naat sharif by sajjad nizami

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Naat sharif सूरज का चमकना तो बस एक बहाना है सरकार के जल्वो से रौशन यह ज़माना है खुद खाना नहीं खाया औरो को खिलाया है हम जैसे गरीबों को सिने से लगाया है ऐ प्यारे अली तेरा वो पाक घराना है गौसे सम्दानी की अजमत कोई क्या जाने रब जाने नबी जाने या मौला अली जाने बघ्दाद में रहकर भी नज़्रो में ज़माना है पढ़ पढ़ के दरूदो को तक्दीर जगाना है और आज हमें अपनी झोली को भराना है सरकार की महफिल है सरकार को अना है