ग़ारे_हिरा_में_नुबुव्वत_का_मिलना ( ज़ाहिरी_तौर_पर )

# _ग़ारे_हिरा_में_नुबुव्वत_का_मिलना ( #ज़ाहिरी_तौर_पर ) जब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की उम्र शरीफ़ 40 साल हो गई तो आपको क़ुदरत की तरफ़ से नुबुव्वत की निशानियाँ दिखाई जाने लगीं... यानी सच्चे ख़्वाब आपको दिखाए जाते जो दिन के उजाले की तरह ज़ाहिर और सच होते...। आप रात में जो भी ख़्वाब देखते वह बिल्कुल सच्चा होता । छह महीने तक यह सिलसिला चलता रहा, सच्चे ख़्वाब अगरचे नुबुव्वत का छियालीसवाँ (46) हिस्सा हैं और ज़ाहिरी तौर पर नुबुव्वत का कुल वक़्त 23 साल है...। इस तरह जब ग़ारे हिरा में तन्हाई में रहने का तीसरा साल आया तो अल्लाह तआला ने चाहा कि ज़मीन पर रहने वाले इनसानों पर उसकी रहमत व करम हो, तो आपको नुबुव्वत देने के लिये हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम को भेजा...। चुनाँचे आप रोज़ाना की तरह एक दिन ग़ारे हिरा में तशरीफ़ फरमा थे कि अचानक एक फ़रिश्ता ग़ार के अन्दर आया और आपको सलाम किया, फिर यह कहा #_इक़्रा (पढ़िये)...। आपने फ़रमाया ''मा अ-न बि-क़ारी'' यानी मै पढ़ा हुआ नहीं हूँ...। उसके बाद फ़रिश्ते ने आपको पकड़कर भीचा और इतनी ज़ोर से दबाया कि आपकी ताक़त जवाब दे गई... ...